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कार्टूनेचर फ़ीचर सेवा

Friday, April 30, 2010

पढ़ाई

पढ़ाई
मद्य प्रसाद रात के ढाई बजे चुपके से घर में दाख़िल हुए और एक बड़ी किताब लेकर पढ़ने बैठ गये। पत्नी को उनके आने की भनक लग गयी। वह तुरन्त आयी और बोली- तुम आज फ़िर पीकर आए हो!
मद्य प्रसाद ने सफ़ाई दी- न...नहीं तो!
इस पर पत्नी ने पूछा- फ़िर यह सूटकेस खोलकर क्या बड़बड़ा रहे हो?
Illustration © T.C. Chander 2010, New Delhi, India

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