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Hojaa/Chitthee by T.C. Chander& Manju Gopaalan
१. - मुझे अपने एक रिश्तेदार को भेजने के लिए एक चिट्ठी लिखवानी है। क्या आप लिख देंगे?
-माफ़ करना भाई! मैं आपके किसी रिश्तेदार के घर नहीं जाना चाहता।
२. - मगर होजा, मैंने तो आपसे कभी अपने रिश्तेदार के घर जाने को नहीं कहा।
-देखो, आज मैं एक चिट्ठी ही लिखूंगा...
३. - ...हो सकता है मेरी लिखावट उसकी समझ में न आए। यह भी हो सकता है कि उसका पड़ौसी भी मेरी लिखी चिट्ठी न समझ पाए...
-जी?
४. - मूर्ख हैं आप, कभी-कभी आप दो-चार बादाम क्यों नहीं खाते? जब चिट्ठी उस रिश्तेदार की समझ में नहीं आएगी तो उसे पढ़्ने के लिए मुझे ही बुलाना पड़ेगा न!
५. - हो सकता है तब मेरा कहीं जाने का मन ही नहीं हो, उस समय मैं मना करूंगा तो आपको कितना बुरा लगेगा...इसलिए मैं आज ही मना कर रहा हूं!
-क्या?
प्रकाशित-दैनिक हिन्दुस्तान
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Similarity / Healing the target: Kudin - Vyaznikov - Khalil
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Victor Kudin
44th International Nasreddin Hodja Caricature Competition 2024
Special Prize of The Association of Caricaturists.
Lev Vyaznikov 2014
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