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कार्टूनेचर फ़ीचर सेवा

Friday, August 26, 2011

लाइलाजी


बस आप इतना इशारा कर दीजिए...मैं इसे गुलदस्ता मानूं या श्रद्धासुमन!
Cartoon © T.C. Chander






लाइलाजी
पति काफ़ी दिन से बीमार था। कई डॉक्टरों की दवा से कोई फ़ायदा नहीं हुआ। हारकर एक दिन पत्नी बोली- अब किसी जानवरों के डॉक्टर को दिखा देती हूं। इस बात पर पति ताव खा गया।
वह गुस्से में बोला- वो क्यों?
देखो, तुम रोज सुबह उठते हो कछुए की तरह, घोड़े की तरह भागकर दफ़्तर जाते हो, वहां देर रात तक गधे की तरह जुटकर काम करते हो, ऊंट की तरह गरदन लटकाए दफ़्तर से घर लौटते हो, कुत्ते की तरह बच्चों पर भोंकते हो और सुअर की तरह खाने पर टूट पड़ते हो। अन्त में आधी रात को भैंसे की तरह पसरकर सो जाते हो। अब भी तुमको लगता है कि जानवरों के डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है?
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